कलयुग की महत्म पूर्ण कहानिया ! mantukumarbali2004, September 29, 2023 कलयुग की महत्म पूर्ण कहानिया ! रोज कही न कही सुनी जाने वाली बातों आखिर में ‘कलियुग’ है कौन और उत्पत्ति इसकी कहाँ से हुई ? वैसे में आप चाहे जो कुछ चाहे या जो कहें पर कलयुग अपने उपर सर पर सारा दोष ले लेता है, परन्तु उन समस्त अधर्मों का जो इंसान करता है. पिछले तीन युगों से इसकी तुलना उसको अवश्य ही लज्जित करती रही होगी, क्योंकि कहा जाता है कि सतयुग, द्वापर युग और त्रेता युग में बहुत अधिक पाप, अनाचार इस युग में उत्पन्न हुआ हैं और लगातार उत्पन्न हो ते जा रहे हैं.. तो ये कलयुग (Kaliyug Story) है कौन? इस प्रश्नों का उत्तर आपको देंगे पांडवों के वंशज और वीर अभिमन्यु के पुत्र एवं राजा परिक्षित ! इसकी भूल कहिये या मजबूरी, जो इन्होंने कलयुग को पृथ्वी पर राज करने की अनुमति दे दी जाती है . यह हमें पता ही है कि हिंदू धर्म में चार युगो का वर्णन किया गया है आप जानते ही होंगे आइये इनकी कहानी से आगे बढ़ते हैं.पुराणों के अनुसार, सतयुग में पृथ्वी पर केवल आत्माएं हुआ करती थीं. इसलिए इस युगो को ‘वर्ल्ड ऑफ सोल’ (World of Soul) भी कहा जाता हैं कि इस युग में पाप नहीं था पूर्ण युग का धर्म था और इसका कारण यह है की भगवान को इस युग में अवतार लेने की ज़रुरत ही नहीं पड़ा था ! इसीलिए सतयुग की सर्वाधिक आयु 17280000 साल की उम्र मानी गयी. हालाँकि, कई जगहों पर आत्माओं की लम्बाई, उम्र की बातें भी आती हैं, लेकिन श्रीमद्भागवत गीता में यह सिद्धांत गलत हो जाता है, क्योंकि आत्मा का कोई स्वरुप है ही नहीं! बहरहाल, इससे आगे जाते हैं तो सतयुग के बाद त्रेतायुग आयाथा इस युग में थोड़े पाप ज़रूर बढ़े थे लेकिन उन सीमित पापों के नाश के लिए श्रीराम का अवतार हुआ था त्रेतायुग में भगवान राम जी ने अपने समस्त कर्मों को पूरा करके जीवित ही स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गए थे और उन्होंने बजरंग बली को आने वाले सभी युगों तक जीवित रहने का आशीष दिया था थोड़ी मात्रा में पाप होने के कारण त्रेता युग की उम्र कुछ घटी दिया गया और यह आयु 4320000 साल तक माना जाता है. इसके बाद तत्पश्चात द्वापर युग आया. इस युग में तमाम पाप बढे. छल-प्रपंच, कर्म , क्रोध, शत्रुता आदि आया व्यसनों में काफी बढ़ोत्तरी हुई. संभवतः इसीलिए सतयुग एवं त्रेता युग से इसकी उम्र कम हो गया है , जो 864000 साल तक मानी गयी है ! द्वापर युग में धर्म को कठोरता प्रहार किया गया था इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण अपनी समस्त कलाओं के साथ धरती पर आये और पाप का नाश किया गया था लेकिन आब बारी आती है कलयुग की, जिससे धर्म के आखिरी छोर तक, समाप्ति की कारगार तक पहुँचने की भविष्यवाणी किया गया था और पाप चरम पर होगा, तो लालच हिंसा की कोई सीमा नही होगी और ऐसे में भगवान विष्णु, कल्कि क में अवतार (Bhagwan kalik Avatar) में प्रकट होंगे, ऐसी मान्यता होंगी ! अब आते हैं मुख्य बातो पर कि धरती पर कलयुग कैसे आया ? महाभारत के समाप्ति के बाद महाराज युधिष्ठिर ने सारा राजपाठ पुत्र परिक्षित को उपर सौंप दिया जाता है और स्वयं पांच पांडव, द्रौपदी के साथ जंगल होते हुए हिमालय की ओर निकल पड़ती है परीक्षित एक सम्राट बनकर अपनी उपर जिम्मेदारी को ले कर निभाने लगे. बताते हैं कि पांडवों के हिमालय गमन के बाद माँ पृथ्वी देवी ,धर्म माता सरस्वती नदी के अलग-अलग छोर पर क्रमशः गाय और बैल के रूप में बातें कर रहे थे.गाय रूपी धरती बेहद दुखी होती है तो धर्म रुपी बैल ने पूछा कि अब आप तो महाभारत के पश्चात् चीख-पुकार, हिंसा-नफरत समाप्त हो गया है न तो आप दुखी होकर क्यों बैठी है ?तब धरती माता गाय रुपी ने कहा कि, हे धर्म! क्या तुम सच में देख नहीं पा रहे हो कि तुम्हारे चारों पैरों में से अब मात्र एक ही पैर बचा है! तब आगे माँ धरती ने यह भी कहा कि पहले मुझे योगेश्वर श्री कृष्ण ने चरण मुझ पर पड़ते थे केकिन अब ऐसा अब कुछ भी नहीं है पहले तब मैं निश्चित ही अपने को सौभाग्यशाली मानती थी, पर अब ऐसा कुछ भी नहीं है.इन दोनों की बिच आगे कुछ बाते होती है ठीक तभी असुर के रूप में कलयुग वहां पहुचते है और बोलते है की आप गाय और बैल को क्यों परेशान कर रहे हो ! इन दोनों की बिच आगे कुछ बाते होती, ठीक तभी असुर के रूप में कलयुग वहां धमका आते है और उसने गाय और बैल को परेशान करना शुरू कर देता है , चूंकि आसुरी प्रवृत्ति होती ही यही है.तभी सम्राट परिक्षित वहां से गुजरे और निर्दोष-निरीह, गाय और बैल को दुखी होते हुए देखा उन्होंने कलयुग को ललकारा कि हे दुष्ट – पापी तुम कौन हो ? उन्होंने कलयुग पर धनुष तानते हुए कहा कि तुम्हार अपराध क्षमा योग्य नहीं है और तुम्हारा वध किया जाना ही उचित है. हालाँकि, परिक्षित बैल के रूप में धर्म को पहचान लिए थे. उन्होंने कलयुग पर धनुष तानते हुए कहा कि तेरा अपराध क्षमा योग्य नहीं है और तेरा वध किया जाना ही उचित है. हालाँकि, परिक्षित बैल के रूप में धर्म को पहचान गए थे. उन्होंने धर्म से लगातार पूछा कि यह कौन है ? तब धर्म ने जवाब नहीं दिया! तब राजा परीक्षित ने कहा कि- धर्म तुमको भली-भांति जानने के पश्चात भी किसी को विषय में गलत न कहते हुए अपने ऊपर अत्याचार करने वाले का नाम तक भी नहीं बता रहे हैं?” ठीक तभी कलयुग ने पैंतरा बदला व सम्राट के पैरों पर गिर गया और अपना परिचय दिया कि, वह कलयुग है! धर्मज्ञ राजा सब समझ गए कि सतयुग में धर्म के चार चरण थे, तो त्रेतायुग में तीन चरण हुए है और एक का नाश हो गया. ऐसे ही द्वापर में दो और आज कलयुग ने एक बचे हुए चरण को भी नुकसान पहुंचा दिया है. ऐसे में कलयुग तब गिड़गिड़ाने लगा और राजा से उसने कहा कि – आपका साम्राज्य तो सम्पूर्ण पृथ्वी पर ही है और कहा अगर आप मुझे ऐसे निकालेंगे तो फिर मैं कहां जाउंगा ? मैं आपका शरण में हूँ, इसलिए मुझे कोई निश्चित स्थान प्रदान जरुर करें ! तब राजा परिक्षित ने विचार किया और कहा कि जहाँ द्यूत, मद्यपान, परस्त्रीगमन और हिंसा होती है , वहाँ असत्य, मद, काम और क्रोध का निवास अवश्य होता है, तो वहीं तेरा स्थान निश्चित करता हूँ! कलयुग ने फिर प्रार्थना की और कहा कि सिर्फ इतना स्थान मेरे लिए पर्याप्त नहीं है. तब उसकी चाल नहीं समझ सके और उसे स्वर्ण में भी स्थान दे दिया. यह सुनते ही कलयुग ने पांच भागों में बंट गया और राजा के दिए गए अधिकार क्षेत्र में उसका अलग-अलग हिस्सा प्रविष्ट हो गया. चूंकि पांचवा हिस्सा तो खुद स्वर्ण था, और स्वर्ण मुकुट सम्राट ने स्वयं ही धारण किया था, बस फिर क्या था कपटी कलयुग परिक्षित के स्वर्ण मुकुट में प्रवेश हो गया. चूंकि राजा परीक्षित का सम्पूर्ण पृथ्वी के सम्राट थे, अतः मार्कण्डेय पुराण के अनुसार कलयुग सम्पूर्ण पृथ्वी पर काबिज़ हो गया. महान गणितज्ञ आर्यभट्ट की किताब आर्यभट्टियम में कलयुग के बारे में उन्होंने 23 साल की उम्र में ही लिखा था कि वह समय कलियुग का 3600 वा वर्ष था ! शास्त्रों में युगों का आंकड़ा बताया गया है, जिसके अनुसार मानव का एक मास, पितरों के एक दिन और रात के बराबर है और मनुष्य का एक वर्ष, देवता के एक दिन व रात के बराबर बतलाया गया है. मतलब की हम मनुष्य 30 वर्ष व्यतीत करते हैं, तब उसके बराबर देवताओं का एक मास होता है.इसी प्रकार मानव के 3600 वर्ष, देवताओं का एक वर्ष (Divya Year of Gods) कहलाते हैं. इसी गणना को लें तो मनुष्य के 432000 वर्ष, यानि देवताओं के 1200 दिव्य वर्ष का पूरा एक कलयुग माना गया है. अर्थात कलयुग की उम्र 4,32,000 साल लंबी आयु बतलाई गई है.ख़ास बात तो यह है कि अभी तक कलयुग का मात्र एक चरण पूर्ण हुआ है, मतलब 5118 वर्ष बीत चुके हैं और तकरीबन 426882 वर्ष बाकी हैं (Age of Kaliyuga). ब्रह्मवैवर्त पुराण की मानें तो अभी पाप बहुत बढ़ेगा. जब कलयुग अपने चरम पर होगा तब मात्र पांच वर्ष की आयु में स्त्री गर्भवती हो जाएगी व 16 वर्ष की आयु तक मनुष्य का बुढापा आ जाएगा और अधिकतम आयु 20 वर्ष की आयु तक उसकी आत्मा मृत्यु प्राप्त कर लेगी. ऐसी में इन्सान के बौने होते जाने का वर्णन भी किया गया है. और इतना ही नहीं, कलयुग का जब 50000 हजार वर्ष साल पूरा होगा, तब मोक्ष दायिनी गंगा भी सूख जाएँगी और पाप से त्रस्त होकर श्री बैकुंठधाम चली जाएंगी. आप जानकर हैरान हो जायेंगे कि मात्र 10 हजार वर्ष पूरे होने पर धरती से देवताओं का पलायन स्टार्ट हो जाएगा, क्योंकि कलयुग के पापों को वह सहन नहीं कर सकेंगे. पूजा, धर्म-कर्म, सब बंद हो जायेंगे प्रकृति क्रुद्ध होकर विनाश फैलाएगी और चारों ओर हाहाकार मच जायेगा ! नया सूर्योदय ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतरित होंगे. और मात्र तीन दिन के लिए धरती पर आकर वह समस्त अधर्मी व पापो लोगों का नाश कर देंगे. इसके तत्काल बाद पृथ्वी पर मोटी धार से अनवरत वर्षा होगी और पृथ्वी पुनः सम्पूर्ण रूप से जल मग्न हो जाएगी. और इसके बाद फिर 170,0000 वर्षो का संधि काल (एक युग के अंत दूसरे युग के प्रारंभ के बीच के समय को संधिकाल कहते हैं) होगा और संधि काल के उपरांत पृथ्वी पर 12 सूर्य प्रकट होंगे.तब उनकी गर्मी से पृथ्वी का अनावश्यक जल सूख जाएगा और फिर सतयुग की शुरुआत होगी! बता दें कि कलयुग के अंत वर्णन न केवल हिन्दू धर्म में बल्कि प्रलय का वर्णन कुरान और बाइबल (Kaliyug in Quran and Bible) में भी आया है. लेकिन यह आगे की बातें हैं. अभी तो कलयुग या कलियुग (Kalyug or Kaliyug ) के प्रभाव से जितना अधिक हम खुद को बचा लें, यह हमारे चरित्र – बल (Strength of Character) की परीक्षा में हमें उत्तीर्ण करा देगा ! 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